रबी प्याज की वैज्ञानिक खेती से बढ़ाएं उत्पादन, सितंबर में डालें नर्सरी


Csa Kanpur News: चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के सब्जी अनुभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर आर.बी. सिंह ने बताया कि रवी प्याज की फसल अत्यंत महत्वपूर्ण है उन्होंने बताया कि प्याज में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। इसके अलावा इसमें एंटी एलर्जीक, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीकार्सिनोजेनिक गुण भी होते हैं।

प्याज में प्याज में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी6, बी कांप्लेक्स और सी भी पाया जाता है। प्याज में आयरन, फोलेट और पोटैशियम जैसे खनिज भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया की प्याज का प्रयोग मसालों तथा कच्चा सलाद में खाने के रूप में प्रयोग किया जाता है। प्याज हृदय रोग एवं ब्लड शुगर को नियंत्रण करने में मदद करता है।

डॉ सिंह ने किसान भाइयों को सलाह दी है कि रवी प्याज की नर्सरी सितंबर अक्टूबर के महीने में डाली जाती है उन्होंने कहा कि खेत को अच्छी तरह से तैयार कर क्यारियां बना लें। तथा एक हेक्टेयर हेतु 8 से 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। उन्होंने उन्नतशील प्याज की प्रजातियों के बारे में बताया कि सफेद प्याज हेतु भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, पूसा सफेद आदि हैं जबकि लाल प्याज हेतु भीमा सुपर, भीमा रेड, नासिक रेड और अर्का कल्याण, अर्का लालिमा प्रमुख प्रजातियां हैं।

नर्सरी में प्याज की पौध तैयार होने के उपरांत इसे खेत में रोपाई कर दें उन्होंने बताया कि खेत में पौध रोपाई के पूर्व पौधे की जड़ों को बावस्टीन दवा की 2 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी के घोल में 15 से 20 मिनट डुबोकर रोपाई कर दें  ताकि बैंगनी धब्बा रोग से फसल को बचाया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *