आईआईटी कानपुर ने विकसित की पहली डेटोनेशन रिसर्च फैसिलिटी

IIT Kanpur: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने कम्बशन और प्रपल्शन प्रयोगशाला में डेटोनेशन ट्यूब रिसर्च फैसिलिटी (DTRF) स्थापित की है। यह सुविधा भारत में पहली बार प्रयोगशाला में विस्फोट तरंग के प्रसार का प्रदर्शन करने में सक्षम है। एयरोनॉटिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड, DRDO और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा वित्त पोषित, यह सुविधा विश्व स्तर पर उपलब्ध चुनिंदा रिसर्च फैसिलिटी में से एक है।

इस सुविधा को IIT कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अजय विक्रम सिंह और उनके रिसर्च ग्रुप ने विकसित किया है। यह उपलब्धि दो साल के रिकॉर्ड समय में हासिल की गई। DTRF में किए गए शोध से खनन, औद्योगिक और घरेलू दुर्घटनाओं को रोकने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, जंगल की आग के मार्ग की भविष्यवाणी, उच्च गति वाले विस्फोट-आधारित इंजनों की दक्षता में वृद्धि और विभिन्न उद्योगों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।

प्रो. अजय विक्रम सिंह ने बताया, “यह सुविधा कम्बशन और प्रपल्शन के क्षेत्र में ज्ञान को आगे बढ़ाने में सहायक होगी। हम सीमित स्थानों में ज्वाला त्वरण तंत्र का अध्ययन कर रहे हैं, जो प्रसंस्करण इकाइयों और भंडारण सुविधाओं में गंभीर विस्फोटों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।”

DTRF एयरोस्पेस अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के साथ-साथ ज्वलनशील पदार्थों के उद्योगों में सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। विस्फोट-आधारित इंजनों में अनुसंधान से शक्तिशाली उपकरणों का विकास संभव है, जो अधिक कुशल यात्रा के लिए वर्तमान इंजनों को प्रतिस्थापित कर सकते हैं। प्रमुख शोध रोटेटिंग डेटोनेशन इंजन (RDE) पर केंद्रित है, जो ईंधन दक्षता में 25% तक सुधार, उच्च ऊर्जा घनत्व और कम गतिशील भागों के साथ कार्य करते हैं।

प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, निदेशक, IIT कानपुर ने इस सुविधा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “DTRF वैश्विक एयरोस्पेस समुदाय में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी। यह आईआईटी कानपुर को प्रपल्शन अनुसंधान में अग्रणी बनाएगी।”

यह अभूतपूर्व सुविधा न केवल अकादमिक शोध में योगदान देगी, बल्कि कम्बशन प्रक्रियाओं पर निर्भर उद्योगों के लिए व्यावहारिक समाधान भी प्रदान करेगी। उन्नत डायग्नोस्टिक सिस्टम और डेटा अधिग्रहण उपकरणों के साथ, यह सुविधा विस्फोट तरंगों को समझने और आकस्मिक विस्फोटों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार करने में सहायक होगी।

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