Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में पितृपक्ष का विशेष महत्व है और हर व्यक्ति को पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्व की तीन पीढ़ियों (पिता, पितामह और प्रपितामही) के साथ ही नाना-नानी का भी श्राद्ध करना चाहिए.
शास्त्रों (Shastra) में पितृपक्ष की अवधि को पितरों का सामूहिक मेला कहा जाता है. यह ऐसा समय होता है जब एक पक्ष यानी 15 दिनों के लिए पितृ पृथ्वीलोक पर आते हैं. ऐसे में इस समय परिजन अपने पितरों के निमित्त जो भी कार्य करते हैं या दान देते हैं वह उन्हें प्राप्त होता है. इसे प्राप्त कर पितृ तृप्त होकर अपने वंश को फलने-फूलने का शुभाशीष देते हैं.
पितृपक्ष का पहला श्राद्ध कब?
पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और आश्विन अमावस्या (Ashwin Amavasya 2024) के दिन समाप्त होती है. लेकिन सामान्यत: पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से यानी आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से मानी जाती है. ऐसे में बुधवार 18 सितंबर 2024 (आज) से पितृपक्ष की शुरुआत होगी और इसी दिन पितरों के निमित्त पहला श्राद्ध किया जाएगा.
पहला श्राद्ध (Pitru Paksha 2024 Day 1)
पितृपक्ष की शुरुआत के दिन ही पहला श्राद्ध होता है. ऐसे में आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि या 18 सितंबर 2024 (आज) से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है और इसी दिन पितृपक्ष का पहला श्राद्ध किया जाएगा. इसे प्रतिपदा श्राद्ध को पड़वा श्राद्ध के भी नाम से जाना जाता है.
प्रतिपदा श्राद्ध तिथि-मुहूर्त (Pratipada Shradh Date and Timing)
प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर (आज) को सुबह 08 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और 19 सितंबर सुबह 04:19 पर समाप्त होगी. वहीं प्रतिपदा श्राद्ध के लिए इस दिन सुबह 11:30 से दोपहर 03:30 तक का समय रहेगा. यानी अपराह्न काल की समाप्ति से पहले आप प्रतिपदा श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान को पूरा कर लें.
कब करना चाहिए श्राद्ध ?
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि श्राद्ध कर्म कभी भी सूर्योदय से पूर्व और सूर्योदय के बाद नहीं करना चाहिए. हमेशा चढ़ते सूर्य के समय ही श्राद्ध या पिंडदान करना चाहिए. इसलिए सुबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर 03:30 तक के समय को श्राद्ध और पिंडदान के लिए अच्छा माना जाता है. इसके साथ ही श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान जैसे अनुष्ठान कुतुप, रौहिण जैसे मुहूर्त में ही संपन्न करने चाहिए.
प्रतिपदा श्राद्ध मुहूर्त (First Day Shradh Muhurat)
कुतुप मुहूर्त: 18 सितंबर,(आज) सुबह 11:50 से 12:30 तक (इस मुहूर्त में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना चाहिए)
रौहिण मुहूर्त: 18 सितंबर,(आज) दोपहर 12:39 से 01:27 तक अपराह्न कालः दोपहर 01: 27 से 03:54 तक प्रतिपदा श्राद्ध का महत्व (Pratipada Shradh Significance)
पितृपक्ष की कुल 15 तिथियां होती हैं और अलग-अलग तिथियों में किए श्राद्ध का अपना महत्व होता है. पितृपक्ष की पहली तिथि को किए गए श्राद्ध को प्रतिपदा श्राद्ध कहा जाता है. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु किसी भी माह की प्रतिपदा तिथि को हुई हो. वहीं मातृपक्ष यानी ननिहाल की ओर से श्राद्ध करने के लिए कोई व्यक्ति न हो तो आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि पर नाना-नानी का श्राद्ध किया जा सकता है. फिर चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि में हुई हो.
सोर्स -ABP NEWS