लखनऊ,
लखनऊ में आयोजित एक सेमिनार में विषय विशेषज्ञ वक्ता के तौर डॉ.अवधेश शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कोलेस्ट्रॉल या फैट अगर सीमित मात्रा में लिया जाये। तो इसके बहुत फायदे हैं जैसे कि यह हमारी त्वचा के चिकनेपन को बरकरार रखता है,बालों को काला रखता है आदि। परन्तु फैट का अनियन्त्रित सेवन किसी जहर से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि फैट या कोलेस्ट्रॉल मुख्यतः दो प्रकार का होता है-
1-बैड कोलेस्ट्रॉल (एल.डी.एल.)
2-गुड कोलेस्ट्रॉल (एच.डी.एल.)
बैड कोलेस्ट्रॉल हृदय की धमनियों में जमकर उसमें रुकावट पैदा कर देता है। जो कि हार्ट अटैक का एक प्रमुख कारण है। जबकि एच.डी.एल. कोलेस्ट्रॉल हार्ट की धमनियों में थक्का जमने से रोकता है। एक सामान्य व्यक्ति के अंदर टोटल कोलेस्ट्रॉल 200 मिलीग्राम/डेसीलीटर से कम होना चाहिये।इसमें एल.डी.एल. 100 मिलीग्राम/डेसीलीटर से कम होना चाहिये जबकि एच.डी.एल.(गुड कोलेस्ट्रॉल) 60 मिलीग्राम/डेसीलीटर से ज्यादा होना चाहिये।
डॉ.अवधेश शर्मा कहा कि इसके अतिरिक्त ब्लड ट्राइग्लिसराइड का स्तर 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम होना चाहिये। ट्राइग्लिसराइड मुख्यतः ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने से बढ़ता है।ब्लड सुगर और हाई बी.पी. की तरह बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल भी एक साइलेंट किलर की तरह काम करता है और शरीर को अन्दर ही अन्दर बीमार करता है क्योंकि इसका कोई लक्षण नहीं होता। अगर कोई व्यक्ति मोटा है अथवा उसकी तोंद निकली हुई है या उसे डायबिटीज की बीमारी है तो उसे अपना ब्लड कोलेस्ट्रॉल अवश्य चेक करना चाहिये।
डॉ.अवधेश शर्मा कहा कि बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होता है।ब्लड कोलेस्ट्रॉल को उचित खान-पान ,नियमित व्यायाम व जरूरत पड़ने पर दवाइयों के द्वारा ठीक किया जा सकता है।स्वस्थ्य आहार में प्रत्येक व्यक्ति को तली और डीप फ्राई खाने से परहेज करना चाहिये।एक ही तेल को बार-बार गर्म नहीं करना चाहिये व ऐसे तेल के बने पदार्थों को बिलकुल नहीं खाना चाहिये।हरी सब्जियों व फलों का ज्यादा सेवन करना चाहिये।प्रतिदिन कम से कम आधा घण्टा व्यायाम करना चाहिये।