MahaKumbh2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला इस बार कई मायनों में ऐतिहासिक बनता जा रहा है। पहले अनुमान था कि इस साल के महाकुंभ में करीब 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु स्नान के लिए संगम पहुंचेंगे, लेकिन मेला के केवल 26 दिन में ही यह संख्या 40.68 करोड़ को पार कर चुकी है। और अब, मेले के समापन में अभी भी 19 दिन बाकी हैं, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि श्रद्धालुओं की कुल संख्या 50 से 60 करोड़ तक पहुंच सकती है।
शनिवार की सुबह से लेकर रात तक, मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं का आगमन जारी रहा। यह सिलसिला केवल स्नान करने वालों तक सीमित नहीं था, बल्कि सड़कों पर भी श्रद्धालुओं का रेला नजर आ रहा था। संगम के घाटों पर स्नान का महौल थमता नहीं था। यहां का दृश्य कुछ ऐसा था कि जैसे हर कोई अपने जीवन की सबसे बड़ी यात्रा पर निकल पड़ा हो। हर कदम, हर डुबकी में आस्था और विश्वास की गहरी छाप नजर आ रही थी।
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7 फरवरी की रात आठ बजे तक 39.74 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया था, और शनिवार को संख्या शाम होते-होते स्नानार्थियों की संख्या में और इजाफा हुआ और यह 40.68 करोड़ तक पहुंच गई। पूरे दिन सड़कों पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती रही, और संगम घाटों पर स्नान का सिलसिला जारी रहा।
यहां के दृश्य महाकुंभ के महत्व को और भी गहरे तरीके से उजागर करते हैं। विशेषकर, वसंत पंचमी के दिन हुए अमृत स्नान के बाद श्रद्धालुओं की संख्या और भी बढ़ गई। इस दिन, केवल भारत से ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे। इन श्रद्धालुओं में कई विदेशी भक्त भी शामिल थे, जो अपनी आस्था और श्रद्धा के साथ त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे। खास बात यह है कि श्रद्धालुओं के बीच विविध संस्कृतियों का संगम भी दिखाई दे रहा है, जिससे इस महाकुंभ का रंग और भी अलग बन गया है।
महाकुंभ में सिर्फ धर्म और आस्था का ही दृश्य नहीं है, बल्कि यहां के अनुभव भी अनोखे हैं। कल्पवासी और साधु-संन्यासियों की उपस्थिति इस मेले को और भी खास बनाती है। यह वो लोग हैं, जो मेला क्षेत्र में 45 दिन तक व्रत रखते हैं, और यहां तक कि ठंडे पानी में स्नान करते हैं। इस परंपरा का पालन करते हुए लाखों श्रद्धालु अपनी धार्मिक आस्थाओं को प्रकट करते हैं।
अब, माघी पूर्णिमा के स्नान की घड़ी भी नजदीक है, और 12 फरवरी को इस दिन के स्नान का अपना महत्व है। इसके बाद, महाशिवरात्रि का स्नान भी होगा, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। इस दौरान यह मेला और भी रंगीन होने की उम्मीद है, क्योंकि श्रद्धालुओं की संख्या के साथ-साथ उनकी आस्था और श्रद्धा का स्तर भी ऊंचा होगा। इस वर्ष का महाकुंभ मेला न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का भी अद्भुत उदाहरण पेश कर रहा है।