कानपुर देहात से लेकर शहर तक की राजनीति में भरोसेमंद और जिताऊ नेता साबित होना ही देवेंद्र सिंह भोले की टिकट का आधार बना। पार्टी ने जहां इस बार कई सांसदों की टिकट काटी है। वहीं अकबरपुर लोकसभा से फिर उनपर दांव खेला है। इसके पीछे मौजूदा सांसद भोले का लंबा सियासी सफर है और उसमें जुड़ी सफलताएं हैं।
बताते चलें कि कानपुर देहात क्षेत्र के राजनीतिक पहलवान रहे भोले ने पहली सफलता ब्लॉक स्तर पर हासिल की। वह 1988 में ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जीते। फिर यहां से कदम बढ़ाए तो राम लहर ने उनके लिए लखनऊ के रास्ते खोल दिए। पहली बार भाजपा ने उन्हें 1991 में डेरापुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में जीते भोले को पार्टी ने 1996 में दोबारा मैदान में उतारा।
वह जीते तो 1997 में प्रदेश सरकार में मंत्री पद से नवाजे गए। मगर, इसके बाद 2002, 2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव वह हार गए। तीन चुनावों में मिली असफलता के बाद भाजपा ने 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में उन पर फिर भरोसा जताया। मोदी लहर में वह जीते और सांसद बन गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर अकबरपुर लोकसभा सीट से मैदान में हैं।