कानपुर में कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ़ नर्सिंग साइंस एण्ड रिसर्च कानपुर में कार्डियक इमरजेंसी के विषय पर आयोजित एक व्याख्यान माला को संबोधित करते हुए डा.अवधेश शर्मा जो की वर्तमान में हृदय रोग संस्थान , कानपुर में प्रोफेसर कार्डियोलॉजी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न रिसर्च एवं शोधों के आधार पर यह कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को सीने के बीचो-बीच तेज दर्द अचानक उठ रहा है। ख़ासतौर से बी.पी. व शुगर के मरीजों को,तो उन्हें तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये।
प्राथमिक उपचार के तौर पर इन मरीजों को 325 मिलीग्राम डिस्पिरिन की गोली तुरन्त चबा कर निगल लेनी चाहिये। दर्द से आराम के लिये 5 मिलीग्राम की सॉरबिट्रेट की गोली जीभ के नीचे रख कर चूसना चाहिये। चिकित्सक के पास पहुँचने पर 10 मिनट के अन्दर रोगी का ईसीजी हो जाना चाहिए। ईसीजी के आधार पर अगर गम्भीर हार्ट अटैक (STEMI) है। तो 60 मिनट के अन्दर रोगी की एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी हो जानी चाहिये।
अगर मरीज कैथ लैब की सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल में पहुँचने में असमर्थ है या फिर दो घण्टे से ज्यादा का समय लग रहा है। तो उसे खून पतला करने वाले इंजेक्शन (थ्रोमबोलिसिस) लगा देना चाहिये और उसके बाद 24 घण्टे के अन्दर एंजियोग्राफी वाले सेण्टर पर भेज देना चाहिये। समय पर उचित निर्णय से हार्ट अटैक से होने वाली काफी आकस्मिक मौतों को रोका जा सकता है।